" क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारो थे! 🌹🍁 अगर हो इजाज़त तो तुमसे एक बात पूछ लूँ, वो जो इश्क हमसे सीखाया था, अब किससे करते हो ?"



शब्द ही ऐसी चीज़ है जिसकी वजह से इंसान या तो दिल में उतर जाता है या दिल से उतर जाता है।
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वक़्त बदलता है ज़िंदगी के साथ,
ज़िंदगी बदलती है वक़्त के साथ,
वक़्त नहीं बदलता है अपनों के साथ,
बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ !!
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"अभी भी बाकी है कुछ उम्मीदें उनसे,
जो मेरी सारी उम्मीदें तोड़कर चले गए !!"


"नहीं जानता क्या रिश्ता है तुझसे मेरा  ,

मन्नतों के हर धागे में एक गाँठ तेरे नाम की बाँधता हूँ मैं !!

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क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारो थे!


 "याद है मुझे मेरे सारे गुनाह...एक मोहब्बत करली....  

दूसरा तुमसे कर ली....तीसरा बेपनाह कर ली !!

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"दिल तो कहता है की छोड जाऊँ ये दुनिया हंमेशा के लिए,

फिर ख्याल आता है की वो नफरत किससे करेगा मेरे जाने बाद !!"

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खोता गया, खोता गया, सब कुछ मेरा खोता गया
होता गया, होता गया, तूने चाहा जो होता गया

लुटता गया, मिटता गया, तकदीर से पिटता गया
फिर भी कलम की नोंक को कागज पे घिसता गया

जगता गया, रोता गया, दिन-रात यूं गुजरता गया
एक दिन मरा तो हर कोई मेरी लाश पे हंसता गया

आशिक हुआ, माशूक हुआ, शायर हुआ, दिल से हुआ
हर दर्द को सहता गया, हर जख्म पे गाता गया

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ज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा हो;

 ज़रूरी नहीं कि जिसके हम हों वो भी हमारा हो;

 कुछ कश्तियाँ डूब जाया करती हैं;

 ज़रूरी नहीं कि हर कश्ती के नसीब में किनारा हो।

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